Sunday, June 13, 2010

होश

मैं खुश हूं कि सारे भ्रम टूट चुके हैं,
मैं खुश हूं कि अंधियारे पीछे छूट चुके हैं !

ना गम है न गम का सबब कोई,
ना मलाल है ना अफ़सोस की वजह कोई,
ना दिलसे हैं ना देने वाला कोई,
ना ज़रुरत है ना इतना ज़रुरी कोई !

जो हुआ वक्त रहते हो गया,
जज़्बातों का तूफ़ां आंखों की धूल धो गया,
अब मैं हूं और मैं ही हूं,
क्योंकि, सारे भ्रम टूट चुके हैं..........!

4 comments:

  1. its is too......... good....!!
    beautiful!!!!!!!!

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  2. aaj khush to bahut honge tum.... :) beautiful creation bhai

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  3. बहोत खूब । काफी गहरी कविता है । स्वागतम् ! ब्लॉग भी अच्छेसे सजाया है ।

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