होश
मैं खुश हूं कि सारे भ्रम टूट चुके हैं,
मैं खुश हूं कि अंधियारे पीछे छूट चुके हैं !
ना गम है न गम का सबब कोई,
ना मलाल है ना अफ़सोस की वजह कोई,
ना दिलसे हैं ना देने वाला कोई,
ना ज़रुरत है ना इतना ज़रुरी कोई !
जो हुआ वक्त रहते हो गया,
जज़्बातों का तूफ़ां आंखों की धूल धो गया,
अब मैं हूं और मैं ही हूं,
क्योंकि, सारे भ्रम टूट चुके हैं..........!
its is too......... good....!!
ReplyDeletebeautiful!!!!!!!!
aaj khush to bahut honge tum.... :) beautiful creation bhai
ReplyDeleteबहोत खूब । काफी गहरी कविता है । स्वागतम् ! ब्लॉग भी अच्छेसे सजाया है ।
ReplyDeletekoi nayi kavita likho na?
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