Sunday, June 13, 2010

होश

मैं खुश हूं कि सारे भ्रम टूट चुके हैं,
मैं खुश हूं कि अंधियारे पीछे छूट चुके हैं !

ना गम है न गम का सबब कोई,
ना मलाल है ना अफ़सोस की वजह कोई,
ना दिलसे हैं ना देने वाला कोई,
ना ज़रुरत है ना इतना ज़रुरी कोई !

जो हुआ वक्त रहते हो गया,
जज़्बातों का तूफ़ां आंखों की धूल धो गया,
अब मैं हूं और मैं ही हूं,
क्योंकि, सारे भ्रम टूट चुके हैं..........!